एक्टोपिक प्रेगनंसी क्या है?
एक्टोपिक प्रेगनंसी एक ऐसी अवस्था है जिसमें निषेचित अंडाणु गर्भाशय की बजाय किसी और स्थान जैसे फैलोपियन ट्यूब, ओवरी, गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स), या पेट की गुहा में इम्प्लांट हो जाता है। यह स्थिति माँ और भ्रूण दोनों के लिए खतरनाक होती है और इसे समय पर पहचानना और इलाज करना आवश्यक होता है। भारत में हर 100 में से 1 से 2 गर्भधारण एक्टोपिक हो सकते हैं। इसे हिंदी में कभी-कभी “गर्भाशय के बाहर की गर्भावस्था” भी कहा जाता है।
एक्टोपिक और सामान्य प्रेगनंसी में अंतर
सामान्य गर्भावस्था में भ्रूण गर्भाशय की दीवार पर इम्प्लांट होता है और वहीं विकसित होता है। लेकिन एक्टोपिक प्रेगनंसी में भ्रूण गर्भाशय के बाहर विकसित होने लगता है जिससे आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंच सकता है और भारी रक्तस्राव हो सकता है।
भारत में एक्टोपिक प्रेगनंसी कितनी आम है?
भारत में एक्टोपिक प्रेगनंसी के मामले बढ़ते जा रहे हैं, विशेषकर उन महिलाओं में जो संतान प्राप्ति के लिए उपचार ले रही हैं या जिन्हें पहले से प्रजनन संबंधी समस्याएँ रही हैं।
एक्टोपिक प्रेगनंसी के प्रकार
- फैलोपियन ट्यूब में प्रेगनंसी (ट्यूबल प्रेगनंसी)
- ओवरी में प्रेगनंसी (ओवरीयन एक्टोपिक प्रेगनंसी)
- पेट में प्रेगनंसी (एब्डोमिनल एक्टोपिक प्रेगनंसी)
- गर्भाशय ग्रीवा में प्रेगनंसी (सर्विकल एक्टोपिक प्रेगनंसी)
एक्टोपिक प्रेगनंसी के लक्षण
प्रारंभिक लक्षण:
- मासिक धर्म का रुकना
- हल्का या अनियमित रक्तस्राव
- पेट या श्रोणि के एक तरफ तेज़ दर्द
गंभीर लक्षण:
- कंधे में दर्द
- चक्कर आना या बेहोशी
- अत्यधिक थकान
- ग्रीवा या पेट के निचले हिस्से में दबाव या भारीपन का अनुभव
ये लक्षण अक्सर गर्भधारण के 4 से 6 हफ्तों के बीच दिखने लगते हैं। यदि इन लक्षणों में से कोई भी महसूस हो, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
एक्टोपिक प्रेगनंसी के कारण
- फैलोपियन ट्यूब में रुकावट
- श्रोणि सूजन संबंधी रोग (PID)
- पहले की एक्टोपिक प्रेगनंसी का इतिहास
- आईयूडी (इंट्रायूटेरिन डिवाइस) का प्रयोग
- फर्टिलिटी उपचार (जैसे IVF)
- धूम्रपान
- ट्यूब पर पूर्व सर्जरी या एंडोमेट्रियोसिस
- 35 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं
पहचान कैसे होती है?
- आंतरिक जाँच और ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड से भ्रूण की स्थिति देखी जाती है।
- रक्त जांच द्वारा hCG हार्मोन के स्तर की निगरानी की जाती है। यदि यह सामान्य से कम बढ़ रहा हो तो संदेह होता है।
- कभी-कभी कूलडोसेंटेसिस नामक प्रक्रिया से भी अंदरूनी रक्तस्राव की पुष्टि की जाती है।
- अधिकतर मामलों में यह स्थिति गर्भधारण के 5 से 9 हफ्तों के भीतर सामने आ जाती है।
इलाज के विकल्प
- दवाइयों द्वारा इलाज — यदि स्थिति प्रारंभिक है और ट्यूब फटी नहीं है, तो कुछ दवाओं से भ्रूण का विकास रोका जा सकता है।
- लैप्रोस्कोपिक सर्जरी — यदि स्थिति गंभीर हो तो कम चीरे वाली सर्जरी से भ्रूण निकाला जाता है।
- आपातकालीन सर्जरी — यदि ट्यूब फट चुकी हो और आंतरिक रक्तस्राव हो रहा हो तो खुली सर्जरी आवश्यक होती है।
समय पर इलाज क्यों ज़रूरी है?
- ट्यूब फटने और आंतरिक रक्तस्राव का खतरा
- अत्यधिक दर्द, चक्कर या बेहोशी का कारण बन सकता है
- भविष्य की गर्भधारण क्षमता पर प्रभाव
- यदि समय पर इलाज न हो, तो जान का खतरा बढ़ जाता है
- एक्टोपिक प्रेगनंसी दोबारा भी हो सकती है (10-15% मामलों में)
इलाज के बाद देखभाल
- पूरा शारीरिक और मानसिक आराम लें
- चिकित्सक के निर्देशानुसार नियमित रूप से जांच करवाएं
- अगली गर्भावस्था की योजना सोच-समझकर बनाएं
- धूम्रपान छोड़ें, संक्रमण से बचें, और संतुलित जीवनशैली अपनाएं
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या एक्टोपिक प्रेगनंसी में बच्चा बच सकता है?
नहीं, भ्रूण गर्भाशय के बाहर जीवित नहीं रह सकता।
क्या इसका इलाज हमेशा सर्जरी से होता है?
नहीं, यदि स्थिति प्रारंभिक हो तो दवा से भी इलाज संभव है।
क्या इसके बाद गर्भधारण संभव है?
हाँ, यदि इलाज सही समय पर हुआ हो और ट्यूब सुरक्षित हो।
क्या यह इलाज के बाद फिर से हो सकता है?
यदि कारणों को दूर नहीं किया गया हो तो दोबारा होने की संभावना रहती है।
एक्टोपिक प्रेगनंसी कितने दिनों में पता चलती है?
आमतौर पर यह गर्भधारण के 4 से 6 सप्ताह के बीच लक्षणों से सामने आती है, लेकिन कभी-कभी यह 9वें सप्ताह तक भी पहचानी जा सकती है।
क्या चार हफ्ते में इसके लक्षण दिख सकते हैं?
हां, कुछ मामलों में एक्टोपिक प्रेगनंसी के शुरुआती लक्षण चार हफ्ते के भीतर भी दिख सकते हैं।
क्या आईयूडी और IVF से एक्टोपिक प्रेगनंसी का खतरा बढ़ता है?
हां, इन उपायों में एक्टोपिक प्रेगनंसी की संभावना थोड़ी अधिक हो सकती है, लेकिन नियमित निगरानी और विशेषज्ञ देखरेख में इसका जोखिम कम किया जा सकता है।
क्या एक्टोपिक प्रेगनंसी बिना रक्तस्राव के भी हो सकती है?
हां, कभी-कभी शुरुआती अवस्था में ब्लीडिंग नहीं होती लेकिन पेट दर्द, कमजोरी जैसे संकेत दिखाई दे सकते हैं।
क्या एक्टोपिक प्रेगनंसी की गलत पहचान हो सकती है?
हां, कई बार प्रारंभिक लक्षण सामान्य गर्भधारण जैसे लग सकते हैं या सोनोग्राफी में भ्रूण नहीं दिखने पर भ्रम हो सकता है। इसलिए नियमित जांच और hCG स्तर की निगरानी से सटीक पहचान ज़रूरी है।